Shodashi Secrets
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The Mahavidyas undoubtedly are a profound expression on the divine feminine, Just about every symbolizing a cosmic perform plus a route to spiritual enlightenment.
सर्वेषां ध्यानमात्रात्सवितुरुदरगा चोदयन्ती मनीषां
सानन्दं ध्यानयोगाद्विसगुणसद्दशी दृश्यते चित्तमध्ये ।
Charitable acts for instance donating foodstuff and dresses towards the needy will also be integral into the worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate aspect of the divine.
Just after 11 rosaries on the very first working day of beginning With all the Mantra, it is possible to provide down the chanting to 1 rosary on a daily basis and chant eleven rosaries over the eleventh day, on the final working day of your chanting.
अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।
ह्रींश्रीर्मैंमन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश read more तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
The Tripurasundari temple in Tripura condition, regionally often called Matabari temple, was initially founded by Maharaja Dhanya Manikya in 1501, even though it was possibly a spiritual pilgrimage web page For several generations prior. This peetham of energy was at first meant to certainly be a temple for Lord Vishnu, but due to a revelation which the maharaja had inside a desire, He commissioned and mounted Mata Tripurasundari in just its chamber.
लक्ष्या या पुण्यजालैर्गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषाद्-
वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥
इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।
ಓಂ ಶ್ರೀಂ ಹ್ರೀಂ ಕ್ಲೀಂ ಐಂ ಸೌ: ಓಂ ಹ್ರೀಂ ಶ್ರೀಂ ಕ ಎ ಐ ಲ ಹ್ರೀಂ ಹ ಸ ಕ ಹ ಲ ಹ್ರೀಂ ಸ ಕ ಲ ಹ್ರೀಂ ಸೌ: ಐಂ ಕ್ಲೀಂ ಹ್ರೀಂ ಶ್ರೀಂ